शनिवार, 27 जून 2009

जागती आँखों से भी देखो दुनिया...



ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं,
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं!
जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्कों को,
तेरा दामन तर करने अब आते हैं!
अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना,
हम को बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं!
जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं!
काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया,
देखो हम को क्या-क्या करतब आते हैं!

12 टिप्‍पणियां:

प्रकाश गोविंद ने कहा…

जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं!

बढ़िया गजल
बेहतरीन शेर


लिखते रहें मेरी शुभकामनायें


कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है ।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

आज की आवाज

Unknown ने कहा…

umda ghazal !

mubaraq ho !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं!
काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया,
देखो हम को क्या-क्या करतब आते हैं

बहुत ही लाजवाब शेर हैं.............ग़ज़ल शानदार है

बेनामी ने कहा…

शुभकामनाएं...

Unknown ने कहा…

जागती आंखों से...
अच्छी बात।
सुस्वागतम्

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

lajavab.narayan narayan

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

sandhyagupta ने कहा…

Bahut khub .Badhai.

अंजली ने कहा…

Simply Mind Blowing ji.

Dimple ने कहा…

Hello,

This is the 1st time I came across your blog and your creations.

This creation of yours has left me speechless. It is so damn beautiful.

The verbiage is magnificent and the meaning is eternal.

Hats off to your talent. I wish I could appreciate it by writing & writing in the comments section! But there has to be an end :-)

Take good care.
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com

Shruti ने कहा…

aapki is rachna ne mujhe nishabd kar diya hai. kya kahu samajh nahi aa raha..

bas itna hi kahungi yeh dil ko gehraayio tak chhoo gayi hai..

-sheena

Yatish ने कहा…

क्या खूब पिरोया है ज़ज्बातो को आपने
पड़कर इसे हम स्तब्ध हो जाते है

कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
http://qatraqatra.yatishjain.com/