शनिवार, 27 जून 2009

जागती आँखों से भी देखो दुनिया...



ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं,
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं!
जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्कों को,
तेरा दामन तर करने अब आते हैं!
अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना,
हम को बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं!
जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं!
काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया,
देखो हम को क्या-क्या करतब आते हैं!

बुधवार, 24 जून 2009

मैं सुबह से उदास हूँ...

हवा के दरमियान आज रात का पड़ाव है
मैं अपने ख़्वाब के चिराग़ को
जला न पाऊंगा ये सोच के
बहुत ही बदहवास हूँ
मैं सुबह से उदास हूँ।

शनिवार, 13 जून 2009

दिल लगाने की भूल..?

दिल लगाने की भूल थे पहले
अब जो पत्थर हैं फूल थे पहले
तुझसे मिलकर हुए हैं पुरमानी
चांद-तारे फुजूल थे पहले
अन्नदाता हैं अब गुलाबों के
जितने सूखे बबूल थे पहले
लोक गिरते नहीं थे नज़रों से
इश्क के कुछ उसूल थे पहले
झूठे इल्ज़ाम मान लेते थे
हाय! कैसे रसूल थे पहले
जिनके नामों पे आज रस्ते हैं
वे ही रस्तों की धूल थे पहले
सूर्यभानु गुप्त