शनिवार, 28 मार्च 2009

शब्दों की शक्ति...

कभी-कभी चंद शब्दों की लड़ियाँ मन को झंकझोर कर रख देती हैं दो शब्द भी कभी-कभी पूरी सृष्टि का वर्णन कर देती हैं एक दिन किसी किताब के पन्नों को पलट रहा था कि अचानक इन पंक्तियों पर नज़र गयी और बस वहीँ टिककर रह गयीं मैं सोचने पर विवश हो गया कि वाकई शब्दों में असीम शक्ति होती है आप भी पढें और महसूस करें शब्दों की शक्ति को :-


" 'तू' पत्थर की ऐंठ है,
'मैं' पानी की लोच
तेरी अपनीं सोच है,
मेरी अपनी सोच!! "

कोई टिप्पणी नहीं: